ब्राह्मण सदा सारे समाज का हित चिंतक रहा है : तिवारी

हरिद्वार/नई दिल्ली। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद् का राष्ट्रीय सम्मेलन आईटीओ स्थित आईएमए सभागार में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में देश के सभी राज्यों के पदाधिकारी एवं अन्य ब्राह्मण संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। राष्ट्र स्तरीय इस सम्मेलन का उद्देश्य ब्राह्मण वर्ग के विभिन्न संघटकों में एकता, सामाजिक-सांस्कृतिक जागृति, वर्तमान राजनैतिक स्थिति तथा सामाजिक समरसता को खंडित कर रही आरक्षण जैसी समस्याओं का समाधान ढूँढ़ना था। इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण विषय राष्ट्र निर्माण में ब्राह्मण द्वारा दिए गए योगदान एवं त्याग का ऐतिहासिक अनुशीलन साथ ही ब्राह्मणवाद के नाम पर ब्राह्मण वर्ग के राजनैतिक - सामाजिक अस्तित्व पर किए जा रहे षड्यंत्रकारी हमले को समझना और उसका समुचित उत्तर देना था। 
परिचर्चा में ब्राह्मण वर्ण के बच्चों की शिक्षा, सामाजिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्तित्व निर्माण तथा भविष्य में राष्ट्र के सशक्तिकरण में प्रबल भूमिका हेतु उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों पर भी विस्तारपूर्वक बात की गयी। देश की स्वतंत्रता के पश्चात ब्राह्मण वर्ग को अल्प जनसंख्या वर्ग मानकर राजनीतिक रूप से हाशिये पर धकेलने की होने वाले प्रयासों की व्याख्या भी इस सम्मेलन का मुख्य विषय था। इसके अतिरिक्त इतिहास लेखन, साहित्य, समाज शास्त्रीय विश्लेषण व पत्रकारिता जैसे माध्यमों में ब्राह्मण - अब्राह्मण भेद को शोषक - शोषित का भेद बता कर ब्राह्मणों के विरुद्ध पैदा किए जा रहे भ्रांति मूलक विचारों का तार्किक खंडन पर विमर्श किया गया। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम एवं विश्वविद्यालय प्रायोजित शोध एवं प्रकाशन के माध्यम से एंटी-ब्राह्मण मूवमेंट ब्राह्मणों को ऐतिहासिक एवं समाजशास्त्रीय विश्लेषण का अंग बनाये जाने की सरकारी कोशिशों की तथ्य आधारित तार्किक आलोचना प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ। प्रथम सत्र का संचालन डॉ अभिलाषा द्विवेदी और द्वितीय सत्र का संचालन इंजी. अरविन्द शुक्ल ने किया। 



कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान् परशुराम जी की वंदना, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पांजलि के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रामेश्वर प्रसाद मिश्र 'पंकज' ने ब्राह्मणों की बढ़ती उपेक्षा, मंडल कमीशन की वास्तविकता एवं विभिन्न ऐतिहासिक, सामाजिक घटनाओं का उदाहरण देते हुए विप्र वर्ग के लिए वर्तमान समय को विषम बताते हुए प्रत्येक स्तर पर प्रतिभाओं के साथ हो रहे अन्याय पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की गई। वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त तिवारी ने कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप अपने विचार रखे। उन्होंने राष्ट्र उत्थान में ब्राह्मणों को मिली जिम्मेदारियों और राष्ट्रीय - अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान व प्रतिभा के उदाहरण रखे, उन्होंने वर्तमान में राजनेताओं द्वारा किये जा रहे जातिवाद पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण सदा सारे समाज का हित चिंतक रहा है, तो अपनी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक दृढ़ता के लिए भी उसे स्वयं विचार और कर्म करना होगा। समर्थ, सबल व्यक्ति ही समाज व राष्ट्र को दिशा देता है। 
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध कला इतिहासविद एवं संग्रह विज्ञानी डॉ आनंद वर्द्धन ने वैदिक एवं भारतीय ब्रह्म विज्ञान में ब्राह्मणों की भूमिका का ऐतिहासिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। साथ ही ब्राह्मण कर्म लकांडों की वैज्ञानिकता एवं मनोवैज्ञानिक पक्षों पर एक सुसम्यक विमर्श प्रस्तुत किया। 




द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि एबीबीईपी के प्रबंध न्यासी अरविन्द पचौरी रहे। दिल्ली प्रदेश संयोजक, आशुतोष चौबे ने संगठन के सूत्रों, उद्देश्यों के विषय में जानकारी देते हुए ब्राह्मण उत्थान के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों के विषय में अपने विचार रखे। 
परिषद् की राष्ट्रीय प्रवक्ता, डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने राष्ट्र उत्थान, विश्व कल्याण और सामाजिक समरसता के लिए ब्राह्मणोचित कर्मों, अपने बन्धुओं के प्रति दायित्व निर्वहन और संगठन के विस्तार तथा मजबूती कैसे मिले इस विषय पर चर्चा की। सभी प्रदेशों से आए परिषद् के पदाधिकारियों ने अपनी समस्याऐं और सुझाव रखे।
परिषद के मार्गदर्शक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री जुगुल किशोर तिवारी ने गांव-गांव तक परिषद का विस्तार तथा विभिन्न समस्याओं के निवारण हेतु विधिक उपायों का परिचय देते हुए शिक्षा, व्यापार, व्यवसाय, उद्योग, ट्रेड आदि के क्षेत्र में ब्राह्मणों को कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन को आशुतोष चौबे, अरविंद पचोरी, श्याम शुक्ल, विजय कुमार मिश्र, बालकृष्ण शास्त्री आदि ने भी सम्बोधित किया ।
कार्यक्रम के अंत मे राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व पुलिस अधिकारी श्री घेवरचंद सारस्वत द्वारा लोकतंत्र में अपनी प्रासंगिगता बनाये रखने के लिए ब्राह्मण वर्ग को वोट बैंक बनने के लिए आवाहन करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
‌ इस सम्मेलन में पूर्व विधायक पवन पांडेय सहित केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के विभिन्न अधिकारियों ने भी प्रतिभाग किया। इस सफल कार्यक्रम का श्रेय  निश्चित रूप से पं. जुगल किशोर तिवारी जी आई पी एस जी को जाता है। इस सम्मेलन में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से डॉ.वी.डी.शर्मा हरिद्वार से प्रदेश अध्यक्ष मनोज गौतम, जिला संयोजक प्रदीप शर्मा, प्रो.अरविन्द नारायण मिश्र,उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. प्रेमचन्द शास्त्री,दिनेश भारद्वाज, सुनील कौशिक, मनोज शर्मा, अश्विनी शर्मा, संजीव शर्मा, दीपक मिश्रा, राजकुमार शर्मा, सचिन तिवारी, गणेश सेमवाल, रूडकी से कैप्टन महेश दत्त शर्मा सहित उत्तराखण्ड से दो दर्जन ब्राह्मणों ने सम्मेलन में भाग लिया।